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Samar Gatha

- Jain, N: Samar Gatha

Bog
  • Format
  • Bog, paperback
  • Hindi
  • 138 sider

Beskrivelse

लब खुले, बाँहें फैलीं, खामोशी को तोड़ते शब्द और अहर्निश नदी की तरह बहते विचार एवं उनके समुच्चय का नाम है 'समर गाथा'।यह सिर्फ एक विचार पर कदमताल करते स्वरों का कलरव नहीं, बल्कि अलग-अलग समय में उपजे विचारों का संकलन है। यह ताली-बजाऊ संस्कृति के विरुद्ध सघन और विवेक उद्वेलन का आवश्यक जनमार्ग है। यह सिर्फ विभिन्न दिनों में लिखे गए पत्रकारीय आग्रह भर नहीं है, इसमें सच और अनुभव को व्यक्त करने का जरूरी सामर्थ्य भी है। इसमें गहराई और संश्लिष्टता है, बोधगम्यता है।यह वह केंद्रीभूत धारणा है, जिसने 'समर गाथा' को पुस्तकाकार लेने में मेरी मदद की। मुरली, घर-आँगन, वन-उपवन, मन-तन की नहीं, जीवन की अहर्निश गूँज का नाम है 'समर गाथा'। आप भिज्ञ हैं कि प्राण का रूपांतर भाषा है, इसमें प्रवाह है, स्पर्श है। प्रवाह है, इसलिए गति है, स्पर्श है, इसीलिए संवाद भी है। मैंने जब-जब इन आलेखों को पढ़ा, इसमें तैरता रहा। मुझे लगा कि इसमें सामयिक दृष्टिबोध है, कहन है, कहन में जरूरी घनत्व है, फिर भी बहाव है; जैसे सभी नदियाँ सरस्वती हैं और सभी पहाड़ पुण्य।यह पुस्तक आपको अपने दृष्टिकोण का विकास करने में मदद करेगी। कृपा करेंगे कि इसके पात्रों को हिंदू-मुसलमान के चश्मे से नहीं, क्र&

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Detaljer
  • SprogHindi
  • Sidetal138
  • Udgivelsesdato22-08-2023
  • ISBN139789392013355
  • Forlag PRABHAT PRAKASHAN PVT LTD
  • Nummer i serien429
  • FormatPaperback
  • Udgave0
Størrelse og vægt
  • Vægt184 g
  • Dybde0,8 cm
  • coffee cup img
    10 cm
    book img
    14 cm
    21,6 cm

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