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Rajasthani Shabdon ki Vikas Yatra

Bog
  • Format
  • Bog, paperback
  • Hindi
  • 114 sider

Beskrivelse

अकसर हमारे इर्द-गिर्द भाषाई विविधता देखी जाती है, जन-जीवन के परस्पर मेल-जोल से जहाँ किन्हीं शब्दों का निर्माण होता है तो कहीं पतन। सत्यनारायण व्यास ने अपने अध्ययन, शोध तथा बोधगम्य भाषावैज्ञानिक दृष्टि के आधार पर 'शब्दों की विकास यात्रा' जैसी पुस्तक निर्माण करने की बीड़ा उठाकर साहित्य क्षेत्र में अप्रतिम योगदान दिया। पुस्तक की शुरुआत राजस्थानी भाषा के पचास शब्दों से की गई है। जिसमें उन्होंने ठेठ ऋग्वेद से लेकर लौकिक संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश से होते हुए राजस्थानी भाषा में आने तक की प्रक्रिया का विश्लेषण किया है। ज्ञातव्य है कि विश्व की ऐसी कई भाषाएँ हैं जो हाशिये पर पर है। यहाँ भी ऐसे ही शब्दों की व्याख्या की गई है जो राजस्थानी भाषा से लुप्त हो जाने के क़गार पर हैं। शब्दों की व्याख्या के साथ-साथ प्रत्येक शब्द के व्युत्पत्तिमूलक व्याकरणिक पक्ष तथा अभिव्यक्ति शैली पर भी संक्षिप्त टिप्पणी की गई है।

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Detaljer
  • SprogHindi
  • Sidetal114
  • Udgivelsesdato22-03-2020
  • ISBN139789390605880
  • Forlag Prabhakar Prakshan
  • FormatPaperback
  • Udgave0
Størrelse og vægt
  • Vægt140 g
  • Dybde0,6 cm
  • coffee cup img
    10 cm
    book img
    13,9 cm
    21,5 cm

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