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Nirbhay Hoy Na Koy

- Prashant, A: Nirbhay Hoy Na Koy

Bog
  • Format
  • Bog, paperback
  • Hindi
  • 330 sider

Beskrivelse

गौर से देखो अपने जीवन को। क्या पाना चाहते हो? किसके इशारों पर चल रहे हो? किससे भाग रहे हो? धन, सम्मान और मोह से हमारी आसक्ति है क्योंकि असुरक्षा, असम्मान और खालीपन से हमें भय है। निश्चित ही जीवन में हमारे अधिकतर चुनावों का निर्णायक डर ही है। दीर्घकाल से प्रचलित डर से जुड़ी व्यर्थ धारणाओं से दूर यह पुस्तक हमें डर को समझने का एक सही दृष्टिकोण देती है। हम कभी समाज से और कभी क्षणिक वस्तुओं और संबंधों के खो जाने से डरते हैं। हम बस जीवन के व्यर्थ चले जाने से नहीं डरते। आचार्य प्रशांत हमें अपने केन्द्रीय डर से परिचित कराते हैं। वही एक डर है जो होना आवश्यक है, जिसके बाद जीवन में तुच्छ तरह के डर बचते ही नहीं है। वह भय एक ऐसा पथ प्रकाशित करता है जिस पर चलकर हम किसी ऐसे से नाता जोड़ सकें जो नित्य है, जिसे हम वास्तव में अपना कह सकते हैं। यदि आपमें पुरानी धारणाओं को त्यागने का साहस, एक निर्भय जीवन की कीमत चुकाने की इच्छा और सत्य के प्रति प्रेम है, तो यह पुस्तक आपके लिए है। आचार्य प्रशांत आज विश्व में आध्यात्मिक-सामाजिक जागरण की सशक्त आवाज़ हैं। वेदान्त की प्रखर मशाल, अंधविश्वास व आंतरिक दुर्बलताओं के विरुद्ध मुखर योद्धा, पशुप्रेमी व शुद्ध शाकाहार क&#

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Detaljer
  • SprogHindi
  • Sidetal330
  • Udgivelsesdato02-04-2022
  • ISBN139789393267030
  • Forlag Rajpal and Sons
  • FormatPaperback
  • Udgave0
Størrelse og vægt
  • Vægt467 g
  • Dybde1,9 cm
  • coffee cup img
    10 cm
    book img
    14 cm
    21,6 cm

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