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Nand Kishor Dohavali नंद किशोर दोहावली

Bog
  • Format
  • Bog, paperback
  • Hindi
  • 122 sider

Beskrivelse

बृहत्काव्यं महाकाव्यमिति वदन्त्यपण्डिताः । अष्टसर्गरसक्लृप्तं वदन्ति काव्यपण्डिताः ।। काव्य बड़ा दोने से महाकाव्य नहीं हो जाता. कम से कम आठ सर्गों से युक्त; जिसमें वीर, शृंगार या शांत रस प्रधान हो; और जिसका नायक कोई देव-देवता, राजा अथवा गुणसंपन्न धीरोदात्त वीर पुरुष हो वही काव्य महाकाव्य होता है. प्रस्तुत बाल श्रीकृष्ण दोहावली महाकाव्य सर्वतोपरी दैवी अद्भुत लीलाओं से ओतप्रोत भरा हुआ व आध्यात्मिक गहनता से परिपूर्ण, प्रतिभावान और जागतिक इतिहास में अनुपम है. विशेष बात यह कि इस काव्य के दोहे बोलचाल की साधारण सरल हिंदी भाषा में ही रचे गए हैं.

भारतीय संस्कृति का ऐसा कोई भी पहलू नहीं है जो इस अनूठे महाकाव्य में रुचिरता से सन्नद्ध न किया हो. यह केवल काव्य मात्र ही नही बल्कि यह गंभीर संशोधन से भरा हुआ शोधप्रबंध भी है. यह काव्य प्रेमियों के लिये दोहाबद्ध ऐसा विशाल भांडागार है जैसा अन्य कहीं भी विद्यमान नहीं है. यह महान ग्रंथ लेखक की काव्य तपस्या व साधना है.

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Detaljer
  • SprogHindi
  • Sidetal122
  • Udgivelsesdato01-01-2019
  • ISBN139781897416952
  • Forlag PC Plus Ltd.
  • FormatPaperback
  • Udgave0
Størrelse og vægt
  • Vægt222 g
  • Dybde0,6 cm
  • coffee cup img
    10 cm
    book img
    19,1 cm
    23,4 cm

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