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Main Dayananda Saraswati Bol Raha Hoon

- Rajasvi, S: Main Dayananda Saraswati Bol Raha Hoon

Bog
  • Format
  • Bog, paperback
  • Hindi
  • 176 sider

Beskrivelse

स्वामी दयानंद सरस्वती का वास्तविक नाम मूलशंकर था। उनका जन्म धार्मिक विचारों के सुसंस्कृत परिवार में हुआ था। सन्] 1846 में केवल 22 वर्ष की आयु में उन्होंने अपना घर-परिवार त्याग दिया था। इसके बाद उन्होंने संन्यास ग्रहण कर स्वामी विरजानंद की छत्रच्छाया में शिक्षा-दीक्षा प्राप्त की । स्वामी दयानंद सरस्वती ने हिंदू धर्म में व्याप्त अनेक कुरीतियों को दूर करने के लिए गंभीर प्रयास किए। वे एकेश्वरवाद के प्रबल समर्थक थे और इसका उन्होंने बढ़-चढ़कर प्रचार-प्रसार भी किया। वेद उनकी प्रेरणा थे। उन्होंने लोगों को वेदों की महत्ता का ज्ञान कराते हुए उन्हें फिर से वेदों के अध्ययन-चिंतन की ओर लौटने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने सिद्ध कर दिया कि पुराण ईश्वर-प्रदत्त ग्रंथ नहीं हैं, बल्कि वेद हैं । उन्होंने यह भी प्रमाणित किया कि उपनिषद्] और पुराण जैसे धर्मशास्त्र ऋषि-प्रदत्त हैं, लेकिन वे सभी वेदों पर ही निर्भर हैं और उनकी मान्यता भी तभी तक है, जब तक वे वेदानुकूल हैं। ऐसे धर्मरक्षक पावन संत स्वामी दयानंद सरस्वती के अनमोल वचन इस संकलन में प्रस्तुत हैं, जो पाठक को धर्म, दर्शन, अध्यात्म, कर्म और मानव-मूल्यों की गहरी समझ देंगे।

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Detaljer
  • SprogHindi
  • Sidetal176
  • Udgivelsesdato11-06-2022
  • ISBN139789355211583
  • Forlag PRABHAT PRAKASHAN PVT LTD
  • FormatPaperback
  • Udgave0
Størrelse og vægt
  • Vægt230 g
  • Dybde0,9 cm
  • coffee cup img
    10 cm
    book img
    14 cm
    21,6 cm

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