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Kahan Ho Gayi Bhool

- Kumari, S: Kahan Ho Gayi Bhool

Bog
  • Format
  • Bog, paperback
  • Hindi
  • 124 sider

Beskrivelse

माँ अपने नवजात से संवाद शुरू करती है और यह जीवन भर चलता रहता है। वह यह नहीं सोचती कि यह संवाद कितना सफल होता है। वह लगातार अपना सुख दुःख, उत्साह हताशा, वातावरणस्थिति, आशा आकांक्षा बताती रहती है। बच्चा सुनता खेलता बढ़ता रहता है और स्थिति को समाज को विकास को समझताआत्मसात करता रहता है। यह विकसित बेहतर समाज की रचना का आधार बनता है। एक अच्छी दुनिया सजाता निर्माण करता है। यह भविष्य की संभावनाओं का विस्तार है। एक माँ के संवाद की तरह मैं यह संग्रह आप तक पहुंचाना चाहती हूं। पढ़िए, गुणीये, सुधार करिये।

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Detaljer
  • SprogHindi
  • Sidetal124
  • Udgivelsesdato27-03-2024
  • ISBN139788196148881
  • Forlag TingleBooks
  • FormatPaperback
  • Udgave0
Størrelse og vægt
  • Vægt167 g
  • Dybde0,7 cm
  • coffee cup img
    10 cm
    book img
    14 cm
    21,6 cm

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