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Beskrivelse
ओशो स्वयं तूफानों के पाले हुए थे। और उनका अक्षर-अक्षर मुहब्बत का दीया बनकरउन तूफानों में जलता रहा... जलता रहेगा। जिस ओशो से मैंने बहुत कुछ पाया है, यह अक्षर उन्हीं के नाम- अर्पित करती हूं -कह दो मुखालिफ हवाओं से कह दो मुहब्बत का दीया तो जलता रहेगा...'अमृता प्रीतम