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Beskrivelse
क्या ऐसी कोई विधि हो सकती है, जिसमें आंतरिक व सामाजिक दोनों स्तरों पर सफलता पाई जा सकती है? इसी विधि को लिपिबद्ध करने का विनम्र प्रयास है यह पुस्तक-गढें अपना जीवन। व्यक्]तित्]व विकास के समग्र आयामों को इसमें संकलित किया गया है। यह पुस्तक व्यक्]तित्]व के पूर्ण विकास की मार्गदर्शिका बनाने का एक प्रयास है। चरित्र का गठन हो गया तो चरितार्थ की चिंता नहीं रहेगी। पद, पैसा और प्रतिष्]ठा स्वयं ऐसे सार्थक व्यक्]तित्]व के पीछे भागेंगे। 'गढें अपना जीवन' केवल कुछ युक्]तियाँ नहीं हैं, यह एक वैज्ञानिक विधि है। इस पुस्तक में जीवन को सार्थक बनाने का जो तंत्र सुझाया है, वह भी समय की कसौटी पर बार-बार परखा हुआ है। यह विधि-समस्त शिक्षा पद्धति का आधार बननी चाहिए। जैसा इस पुण्यभू भारत में समय-समय पर होता रहा है, चरित्र-निर्माण एक सामान्य जीवन-प्रक्रिया बन जाए। उदात्त चरित्र के लोग अपवाद में नहीं, अपितु समाज का प्रत्येक व्यक्]ति ही उदात्त चरित्र का बने। यह पुस्तक उन तत्त्वों व उनके व्यावहारिक प्रयोग को बताने का विनम्र प्रयास है, जो ऐसे आदर्श समाज-रचना का आधार बने।