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Ekatma Bharat Ka Sankalp

- Khandelwal, D: Ekatma Bharat Ka Sankalp

Bog
  • Format
  • Bog, hardback
  • Hindi
  • 320 sider

Beskrivelse

स्वतंत्रता के पश्चात् भारत के इतिहास में अनेक महान् विभूतियों को मात्र इस कारण भुला दिया गया, क्योंकि वे नेहरूवादी राजनीति का हिस्सा नहीं थीं अथवा उन्होंने साम्यवाद और समाजवाद के मॉडल को भारतीयता के अनुकूल नहीं पाया था। इन महापुरुषों को भारत के समृद्ध इतिहास पर गर्व था। वे जीवनपर्यंत उसकी गौरवशाली प्रतिष्ठा को पुनर्स्थापित करने के प्रयत्न करते रहे। भारत की अखंडता उनके लिए सर्वोपरि थी और इसे स्थायी रखने के लिए उन्होंने अपना जीवन समर्पित कर दिया। इन्हीं में से डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी बीसवीं शताब्दी के अभूतपूर्व राजनीतिज्ञ थे। 'एकीकृत भारत का संकल्प' 1946-1953 तक जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में उठे प्रश्नों का संपूर्ण समाधान है। इसके प्रत्युत्तर में तत्कालीन सरकार ने डॉ. मुखर्जी को सांप्रदायिक और फासीवाद घोषित कर दिया, क्योंकि इस राज्य के लिए अपनाई गई नीतियों के वे समर्थक नहीं थे। ये नीतियाँ वास्तव में कभी भारत के हित में नहीं थीं। हालाँकि, डॉ. मुखर्जी का कहना था कि संपूर्ण भारत में समान संविधान, एक ध्वज, एक प्रधानमंत्री और एक राष्ट्रपति होना चाहिए। यह पुस्तक केंद्र की नेहरू सरकार और राज्य की अब्दुल्ला सरकार की विफलताओं 

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Detaljer
Størrelse og vægt
  • Vægt575 g
  • Dybde2,2 cm
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    10 cm
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    14,5 cm
    22,2 cm

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