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Ek Shahar Buzurgon ka

Af
Bog
  • Format
  • Bog, paperback
  • Hindi
  • 70 sider

Beskrivelse

"एक शहर बुज़ुर्गों का" किताब पंजाब के उन शहरों से निकले नौजवानो पीढ़ी की ओर संकेत करती है, जो खुद को आराम और सुकून की जिंदगी के साथ जोड़ते हुए आगे ही आगे बढ़ती जा रही है आज की पीड़ी विदेशों में जाकर अपना रेन बसेरा बना रही है यह कहानी तीन दोस्तों के जीवन का परिचय देती है जो विदेश जाने के सपने लेते थे क्या वो विदेश गए? वहां जाकर उन्हें कैसे लगा उनके पीछे उनके माता-पिता को कैसा लगा

एक वतन से दूसरे वतन की चाहत ने क्या क्या बदलाव लाए तथा इस नई सोच का सब पर क्या असर होगा, आइए मिलकर उसे जानने की कोशिश करें इस नई सोच तथा पीछे इंतजार करते बुजुर्गों का एहसास इस पीढ़ी में कितना है? या यूं कह सकते हैं कि क्या हमारे संस्कार और परवरिश इतनी ताकतवर है की वह अपने बुज़ुर्गों को संभालने में बिल्कुल पीछे नहीं हटेगी ?



क्या सरकार भी अपने किसान वर्ग की संभाल करने में पूरा-पूरा योगदान देगी जिससे भविष्य में खेतों की हरियाली को सुरक्षित रखा जा सके? आशा करती हूं कि किसी के एहसास और भावनाओं को मेरी लिखी यह किताब कोई ठेस नहीं पहुंचायेगी

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Detaljer
  • SprogHindi
  • Sidetal70
  • Udgivelsesdato23-11-2023
  • ISBN139789358967562
  • Forlag Zorba Books Pvt. Ltd.
  • FormatPaperback
  • Udgave0
Størrelse og vægt
  • Vægt99 g
  • Dybde0,4 cm
  • coffee cup img
    10 cm
    book img
    13,9 cm
    21,5 cm

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    Machine Name: SAXO082