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DIDDA

- Kashmir Ki Yoddha Rani | ¿¿¿¿¿¿ : ¿¿¿¿¿¿ ¿¿ ¿¿¿¿¿¿ ¿¿¿¿

Bog
  • Format
  • Bog, paperback
  • Hindi
  • 218 sider

Beskrivelse

यह कहानी इतिहास के मलबे में करीब 1200 सालों से दबी हुई थी। यह एक ऐसी कहानी है, जिसमें वीरता, पराक्रम, त्याग जैसे शब्द एक ऐसी स्त्री के साथ जुड़े हुए हैं, जिसने अपनी शारीरिक अपंगता को धता बताकर मध्यकालीन विश्व में इतिहास में सबसे लंबे समय तक राज किया, को महान् रानी के रूप में याद किया जाता है। यह कहानी है कश्मीर की योद्धा रानी 'दिद्दा' की, जिन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कश्मीर को ऊँचाइयों तक पहुँचाया और मध्यकालीन एशिया का सबसे सशक्त राज्य बनाकर स्थापित किया। भगवान् ने दिद्दा को अलौकिक दिव्य शक्तियाँ प्रदान की थीं, वे बहुत बुद्धिमान थीं और एक असाधारण वक्ता भी। दिद्दा ने न सिर्फ अपनी विकलांगता पर विजय पाई, बल्कि अपने बिखरते साम्राज्य को एकजुट करके भी रखा। अपने 79 वर्ष के जीवनकाल में दिद्दा एक ऐसे व्यक्तित्व के रूप में निखरकर आईं, जिनके नाममात्र से ही दुश्मन काँपने लगते थे। दिद्दा कोई साधारण महिला नहीं थीं, पर इस बात में कोई शक नहीं कि उनका पूरा जीवनकाल असाधारणता की मिसाल रहा। 'दिद्दा' एक नाम भर नहीं है, बल्कि यह पर्याय है भारतीय नारी की अस्मिता का, गौरव का, संघर्ष का, त्याग का, पराक्रम का। 'दिद्दा' एक प्रेरणापुंज है जिससे हमारी आज की मात

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Detaljer
  • SprogHindi
  • Sidetal218
  • Udgivelsesdato02-01-2021
  • ISBN139789390378562
  • Forlag PRABHAT PRAKASHAN PVT LTD
  • FormatPaperback
  • Udgave0
Størrelse og vægt
  • Vægt281 g
  • Dybde1,1 cm
  • coffee cup img
    10 cm
    book img
    14 cm
    21,6 cm

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