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Chand Ka Teela

- Gupta, S: Chand Ka Teela

Bog
  • Format
  • Bog, hardback
  • Hindi
  • 136 sider

Beskrivelse

श्रीमती शिखा गुप्ता की पुस्तक की पांडुलिपि हाथों में आने के बाद मेरी पहली प्रतिक्रिया थी कि इसका नाम 'चाँद का टीला' अद्भुत और अभिव्यंजक है। 'चाँद का टीला' का संबंध यादों से तो है ही, साथ में आस-पास की, अपने इर्द-गिर्द के समाज की, सामाजिक संबंधों की मुरादों और हालात को बदलने के इरादों से भी है। कविमन को पर्यावरण की चिंता है। पीपल का वृक्ष छाती पर आरी के दाँते महसूस कर रहा है। कटा वो पेड़ तो मैं कितना रोया, उसी से थी मेरी पहचान बाकी। विद्वान् किस भ्रम में जी रहे हैं, वे पूछती हैं। चर्चा-परिचर्चा में व्यस्त बुद्धिजन आश्वासनों के बल पर या आमजन की पीड़ा का निवारण कर सकते हैं। प्रकृति से खिलवाड़ करके आपदाओं के लिए ऊपरवाले को दोष देना या सही है। खुदा है कैद अब तो मजहबों में, फरिश्ते भी यूँ धूल फाँकते हैं। दिलासों ने जलाए शहर इतने, के अब तो होंठ कहते काँपते हैं। शिजी की कविता के अनेक फलक हैं। तरह-तरह के आयाम हैं। भाषा का सौष्ठव है। शदों के अनेकार्थी प्रयोग हैं। शैली में नवीनता है। उम्मीद करता हूँ कि पिछली पुस्तक के समान उनकी इस पुस्तक का भी स्वागत होगा। -अशोक चक्रधर

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Detaljer
  • SprogHindi
  • Sidetal136
  • Udgivelsesdato02-01-2020
  • ISBN139789386054937
  • Forlag PRABHAT PRAKASHAN PVT LTD
  • Nummer i serien429
  • FormatHardback
  • Udgave0
Størrelse og vægt
  • Vægt326 g
  • Dybde1,1 cm
  • coffee cup img
    10 cm
    book img
    14,5 cm
    22,2 cm

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