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Bhootnath

Bog
  • Format
  • Bog, paperback
  • Hindi
  • 490 sider

Beskrivelse

देवकीनन्दन खत्री कृत 'भूतनाथ' उपन्यास अपने आप में एक विशेषता लिए हुए है। यह एक तिलिस्म उपन्यास है। चंद्रकांता की कहानी को 'चंद्रकांता संतति' में आगे बढ़ाया गया और उसके बाद उसी कहानी को 'भूतनाथ' और 'रोहतास मठ' के जरिये अंजाम तक पहुँचाया गया। चंद्रकांता संतति में भूतनाथ का आगमन एक तुरुप के पत्ते की तरह होता है, जो छलावे की तरह आता है और बाज़ी पलट के चला जाता है। चंद्रकांता संतति के पूरक के रूप में भूतनाथ सीरिज़ लिखी गयी थी, ये 7 जिल्द का उपन्यास देवकीनन्दन खत्री का महत्त्वाकांक्षी उपन्यास था, जिसे वे पूरा नहीं कर सके थे। माना जाता है कि अगर वे इसे पूरा कर पाते, तो यह उपन्यास काल्पनिक उपन्यासों का सरताज होता। पर खत्री जी का, इस उपन्यास को पूरा करने से पहले ही निधन हो गया। उनके बेटे दुर्गा प्रसाद खत्री ने इस उपन्यास को पूरा किया। लेकिन देवकीनन्दन खत्री की लेखनी में जो चमत्कृतता थी, वह उनके बेटे की लेखनी में नज़र नहीं आई। इस उपन्यास की रचना के पीछे खत्री जी की कल्पना शक्ति को शत्-शत् नमन है। लाखों-करोड़ों पाठकों का यह उपन्यास कंठहार बना हुआ है। जब यह कहा जाता है कि 'चंद्रकांता' और 'चंद्रकांता संतति' पढ़ने के लिए लाखों लोगों ने हिंदी भाषा सीख

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Detaljer
  • SprogHindi
  • Sidetal490
  • Udgivelsesdato11-11-2022
  • ISBN139789395242950
  • Forlag PRABHAT PRAKASHAN PVT LTD
  • FormatPaperback
  • Udgave0
Størrelse og vægt
  • Vægt616 g
  • Dybde2,7 cm
  • coffee cup img
    10 cm
    book img
    13,9 cm
    21,5 cm

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