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Arnav

- Anand, P: Arnav

Bog
  • Format
  • Bog, hardback
  • Hindi
  • 138 sider

Beskrivelse

रंग-बिरंगे फूल खिले हैं मन का कोना है क्यों सूना लाख जतन कर लो माली सूखी बगियाँ लुभा नहीं पाती। दुनिया तो है रंग-बिरंगी इनसान बन बैठा क्यों कठपुतली हाथ डोर तो, जोर से पकड़े फिर भी खुल जाती क्यों मुट्ठी रंगों को कमजोर न समझे जीवन में है इसका बड़ा मेल खुले मन से मित्र बना तो हो जाओगे सबसे अनमोल। इंद्रधनुष सा रंग साजे तो पलभर में देता सुखद एहसास आँखों में पलते सपने रंगों से कर देते बरसात। रंगों का है खेल निराला धूप कहीं, कभी घनी छाया रंग भेद ने खूब रुलाया रंगों ने है सबको मिलाया। -इसी संग्रह से

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Detaljer
Størrelse og vægt
  • Vægt329 g
  • Dybde1,1 cm
  • coffee cup img
    10 cm
    book img
    14,5 cm
    22,2 cm

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