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Beskrivelse
प्रसिद्ध कथाकार हिमांशु जोशी की इन कहानियों में वैविध्य देखने को मिलता है। अचरज होता है-इतना वैविध्य एक ही व्यक्ति की रचनाओं में एक साथ कैसे संभव हो सकता है? छह दशक से अधिक के अपने कहानी लेखन में हिमांशु जोशी ने लगभग दो सौ कहानियाँ लिखीं। कई स्तरों को छूती आम आदमी की इन कहानियों में अदृश्य आग है, तपिश है, पीड़ा है, छटपटाहट है, और घुटन भी है। दर्द की ये तसवीरें मनुष्य-मन की व्यथा ही नहीं, आज के जी रहे मानव के अंतहीन अंतर्विरोधों को भी उजागार करती हैं। कहानी मात्र कहानी न रहकर एक यथार्थ भी बन जाए, यह स्वयं में कम बड़ी उपलब्धि नहीं। जिए हुए यथार्थ की ये कहानियाँ कहानियाँ ही नहीं, दस्तावेज भी हैं-विसंगतियों से जूझ रहे अभिशप्त आदमियों के लिए। कहानी शुरू तो कहीं से भी हो सकती है यहाँ, लेकिन प्रायः इन कहानियों का अंत मास्टर स्ट्रोक के साथ होता है। सुप्रसिद्ध कथाकार कमलेश्वर ने हिमांशु जोशी के विषय में लिखा है कि 'स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कहानी को हिमांशु जोशी की कहानियों के बगैर पहचाना नहीं जा सकता। हिंदी कहानी ने जितनी भी रचनात्मक मंजिलें तय की हैं, उन रचनायात्राओं और मंजिलों पर हिमांशु जोशी की कोई-न-कोई कहानी साथ चलती या मंजिल पर मौजू&