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Amar Shaheed Bhagat Singh

- Sharma, M: Amar Shaheed Bhagat Singh

Bog
  • Format
  • Bog, paperback
  • Hindi
  • 146 sider

Beskrivelse

"प्रिय कुलतार, आज तुम्हारी आँखों में आँसू देखकर बहुत दु ख हुआ। आज तुम्हारी बातों में बड़ा दर्द था। तुम्हारे आँसू मुझसे सहन नहीं होते। बरखुरदार, हिम्मत से शिक्षा प्राप्]त करना और सेहत का खयाल रखना। हौसला रखना। और क्या कहूँ... 'उसे यह फिक्र है हरदम, नया तर्जे जफा क्या है? हमें यह शौक देखें, सितम की इंतेहा क्या है? दहर से क्यों खफा रहें, चर्ख का क्यों गिला करें? सारा जहाँ अदू सही, आओ मुकाबला करें। कोई दम का मेहमान हूँ, ए अहले मह]फ]िल! चरागे सहर हूँ, बुझा चाहता हूँ। मेरी हवाओं में रहेगी, खयालों की बिजली यह मुश्त-ए-खाक हूँ, रहे, रहे न रहे।' अच्छा, रुखसत। 'खुश रहो अहले वतन हम तो सफर करते हैं।' हौसले से रहना।" -भगत सिंह युवावस्था में ही 'रष्]ट्र सर्वोपरि' का मंत्र जपकर जिसने भारत की स्वतंत्राता के लिए फाँसी के फंदे को चूम लिया और अपनी शहादत से युवाओं के लहू में देशभक्]त]ि का उबाल पैदा करके मिशन-ए-आजादी का महामंत्र फूँका, ऐसे महान् क्रांतिकारी एवं राष्]ट्र-चिंतक अमर शहीद भगतसिंह की प्रेरणादायक जीवनी।

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Detaljer
  • SprogHindi
  • Sidetal146
  • Udgivelsesdato02-01-2021
  • ISBN139789350483374
  • Forlag PRABHAT PRAKASHAN PVT LTD
  • FormatPaperback
  • Udgave0
Størrelse og vægt
  • Vægt194 g
  • Dybde0,8 cm
  • coffee cup img
    10 cm
    book img
    14 cm
    21,6 cm

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