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Beskrivelse
विश्व ने जैसे-जैसे ख़ुद को विकास के पथ पर बढ़ाया है, उसने नई-नई तकनीक और इंटरनेट के सहारे से कई कठिन काम को आसान करते हुए एक आभासी दुनिया को भी गढ़ा है। इसी के समानांतर एक साइबर क्राइम की दुनिया भी बन गई है, जहाँ लोगों के साथ अपराध होते हैं। आज जब डिजिटल ढंग से दुनिया में लगभग हर काम हो जाता है जिससे समय में बचत के साथ-साथ सहूलत भी होती है, ऐसे में इंटरनेट पर निर्भरता बढ़ना लाज़मी है। भारत के अंदर कोरोना काल में जब पूरा देश लॉकडाउन के कारण अपने-अपने घरों में बंद था, उस दौरान डिजिटल दुनिया लगातार काम कर रही थी, मोबाइल और लैपटॉप ने दुनिया को नए विकल्प दिए थे। लेकिन इसी क्रम में साइबर क्राइम भी बहुत तेजी से बढ़ा, साइबर अपराधियों ने कोरोना काल में लोगों के अधिक ऑनलाइन होने का फ़ायदा उठाया और उन्होंने लोगों की डिजिटल चीज़ों को लेकर कम जानकारियों से, तकनीकी चालाकियों से, लालच देकर, उनकी मजबूरी का फ़ायदा उठाकर और कभी कोविड के नाम पर डराकर उन्हें लूटा है। यह किताब और इसकी कहानियाँ कोरोना काल में लोगों के साथ हुए साइबर क्राइम का एक दस्तावेज है जिसे आसान नरेशन, क्यूरोसिटी और थ्रिल के साथ पेश किया है। इन कहानियों का उद्देश्य केवल इन्हें कह देना मात्र नहीæ