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Aaj Ka Hindi Natak

- Pragati Aur Prabhav

Af
Bog
  • Format
  • Bog, paperback
  • Hindi
  • 250 sider

Beskrivelse

हिन्दी नाट्यालोचना में प्रो. दशरथ ओझा के ग्रन्थ हिन्दी नाटक उद्भव और विकास का सर्वोपरि स्थान निर्विवाद है। यह ऐसा ग्रन्थ है जो हिन्दी नाटक के सैकड़ों वर्षों के इतिहास को समेटता हुआ भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के कालखंड तक का अध्ययन प्रस्तुत करता है। दिल्ली विश्वविद्यालय में अनेक वर्षों तक प्राध्यापक रहे, आलोचक आचार्य ओझा ने इस ग्रन्थ के बाद स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी नाटक के इतिहास पर अपना दूसरा ग्रन्थ आज का हिन्दी नाटक प्रगति और प्रभाव लिखा था। यह ग्रन्थ पिछली शताब्दी के अंतिम वर्षों तक जाता है। सर्वप्रथम 1984 में प्रकाशित उनका यह आलोचना ग्रन्थ नयी साज-सज्जा के साथ प्रस्तुत है। आचार्य दशरथ ओझा के इस ग्रन्थ में जगदीश चंद्र माथुर, धर्मवीर भारती और सुरेंद्र वर्मा प्रभृति अनेक महत्त्वपूर्ण नाटककारों का अध्ययन किया गया है। हिन्दी नाटकों की अधुनातन प्रवृत्तियों तथा उनके प्रभाव को मनीषी आलोचक ने व्यापकता और गहराई के साथ विश्लेषित किया है। कहना न होगा कि हिन्दी नाट्यालोचना के क्षेत्र में यह महत्त्वपूर्ण कृति पाठकों और अध्येताओं के लिए हिन्दी नाटक उद्भव और विकास के दूसरे खंड की तरह संग्रहणीय होगी।

हिन्दी नाट्य स

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Detaljer
  • SprogHindi
  • Sidetal250
  • Udgivelsesdato23-11-2022
  • ISBN139789393267146
  • Forlag Rajpal and Sons
  • FormatPaperback
  • Udgave0
Størrelse og vægt
  • Vægt358 g
  • Dybde1,5 cm
  • coffee cup img
    10 cm
    book img
    14 cm
    21,6 cm

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